अध्याय 3: न्यायालयों की शक्ति
26. न्यायालय, जिनके द्वारा अपराध विचारणीय हैं -- इस संहिता के अन्य उपबन्धों के अधीन रहते हुए -
(क) भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) के अधीन किसी अपराध का विचारण --
(i) उच्च न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, या
(ii) सेशन न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, या
(iii) किसी अन्य ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसके द्वारा उसका विचारणीय होना प्रथम अनुसूची में दर्शित किया गया है।
परन्तु यह कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376, [धारा 376क, धारा 376कख, धारा 376ख, धारा 376ग, धारा 376घ, धारा 376घक, धारा 376घख] या धारा 376ङ] के अधीन किसी अपराध का विचारण, यथाव्यवहार्य ऐसे न्यायालय के द्वारा किया जाएगा जिसकी पीठासीन अधिकारी कोई महिला हो ।
(ख) किसी अन्य विधि के अधीन किसी अपराध का विचारण, जब उस विधि में इस निमित्त कोई न्यायालय उल्लिखित है, तब उस न्यायालय द्वारा किया जाएगा और जब कोई न्यायालय इस प्रकार उल्लिखित नहीं है तब
(i) उच्च न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, या
(ii) किसी अन्य ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसके द्वारा उसका विचारणीय होना प्रथम अनुसूची में दर्शित किया गया है।
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
राज्य संशोधन
उत्तरप्रदेश : धारा 26 में खण्ड (ख) के स्थान पर अग्रलिखित प्रतिस्थापित किया जाएगा :-
“(ख) कोई अन्य विधि के तहत कोई भी अपराध का विचारण किया जा सकेगा :
(i) जब उस कानून में इस संबंध में कोई न्यायालय का उल्लेख है, ऐसे न्यायालय द्वारा या ऐसे न्यायालय से रैंक (दर्जा) में उच्चतर न्यायालय द्वारा, और
(ii) जब ऐसे न्यायालय का उल्लेख नहीं है तो प्रथम अनुसूची में दर्शित न्यायालय द्वारा जिसमें ऐसा अपराध विचारण योग्य है या कोई न्यायालय द्वारा जो ऐसे न्यायालय से उच्चतर है।''
[देखें उत्तरप्रदेश एक्ट संख्या 1 सन् 1984 धारा 6 (दिनांक 4-5-1984 से प्रभावशील)]
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
CHAPTER III: POWER OF COURTS



You Can give your opinion here